Monday 3 July 2017

डोलिया में उठाये के कहार

डोलिया में उठाये के कहार 
ले चल किसी विधि मुझे उस पार 
जहाँ निराशा की ओट में 
आशा का सबेरा हो 
तम संग मचलता उजालों का घेरा हो 
जहाँ मतलबी नहीं अपनों का बसेरा हो 
साझा हो हर गम न तेरा न मेरा हो 
जहाँ बचपन की मस्ती लेती हो अंगराई 
उत्साह-उमंगों संग बहे पुरवाई 
जहाँ अपने ही दम पे जुगनी झिलमिलाती 
छोटी छोटी बातों पे निशा खिलखिलाती 
मुँह -मांगी दूँगी तुमको उतराई 
तहेदिल से दूंगी तुम्हे जीत की बधाई 
खुशियों से दमकेगा प्यारा वो संसार 
ले चल किसी विधि मुझे उस पार----
ब्लॉगर साथियों एक बार फिर --नयी शुरुआत 
आप के ब्लॉग पर भी आती हूँ ---आप भी समय निकल कर आएं --
मेरे सपनों की  अगली कड़ी के रूप  निकले मेरे दिल के --- उदगार इस रूप में।