Tuesday 10 May 2011

संदेश


सुबह सबेरे काम पे निकले
शाम को ही घर आती है
डाली-डाली पर चहक-चहक कर
माँ-चिडियाँ क्या गाती है
लगे रहो अविरल श्रम में
मस्त रहो जीवन क्रम में
नही किसी से कोई आस हो
नही किसी से वैर-भाव हो
हर गम,हर दु;ख से परे
रहने का संदेश हमें सुनाती
डाली-डाली पर चहक-चहक कर
बेटा-चिडियाँ जीना हमैं सिखाती है।

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